सेक्रेटरी टिलरसन: तो, मैं सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी और मंत्री स्वराज को उनके हार्दिक अभिनन्दन के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा। भारत वापस आना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है, एक जीवंत लोकतंत्र जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बहुत से मूल्यों को साझा करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के 70 वर्षों से अधिक से करीबी रिश्ते हैं और हम प्राकृतिक सहयोगी हैं। हम उनकी दोस्ती और संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत के निकट संबंधों के दृष्टिकोण के लिए आभारी हैं, जिन्हें हम निश्चित रूप से साझा करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के उदय का समर्थन करता है और पूरे क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय क्षमताओं में योगदान देना जारी रखेगा। इस संबंध में, हम भारत को उसके सैन्य आधुनिकीकरण प्रयासों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियाँ प्रदान करने का इच्छुक और सक्षम हैं। इसमें एफ-16 और एफ-18 लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिकी उद्योग से महत्वाकांक्षी प्रस्ताव शामिल हैं। मैं अपने दोस्त और सहयोगी, रक्षा मंत्री मैटिस का आभारी हूं, कि वह पिछले महीने भारत आने में सक्षम हुए, और वह तथा मैं दोनों अगले साल के शुरुआत में पहली 2+2 वार्ता में आने के लिए तत्पर हैं।
अगस्त में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने दक्षिण एशिया के लिए एक नई रणनीति की घोषणा की, जो कि अफ़गानिस्तान के प्रति अपनी वचनबद्धता के साथ-साथ शांति, स्थिरता और दक्षिण अफ़्रीकी क्षेत्र की उन्नति को भी दुगुना करती है। भारत इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़े रहना जारी रखेगा। आतंकवादियों के सुरक्षित आश्रयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
हम अफ़गानिस्तान में विकास के लिए भारत के उदार योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिसमें सल्मा बांध और अफ़गानिस्तान संसद भवन का निर्माण और 3 अरब डॉलर की विकास सहायता जो पहले से ही प्रदान की जा चुकी है, शामिल हैं। हम व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में और सहयोग के लिए तत्पर हैं क्योंकि हम दोनों कॉमन्स पर एक नियम-आधारित दृष्टिकोण तथा आर्थिक विकास के लिए एक पारदर्शी व टिकाऊ दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। हमें अपने करीबी पारस्परिक सहयोगी जापान द्वारा इस प्रयास में शामिल होने पर खुशी है, और मुझे पिछले महीने न्यूयॉर्क में अपने दोस्तों, मंत्री स्वराज एवं मंत्री कोनो के साथ इन विषयों पर एक त्रिपक्षीय चर्चा में भाग लेने के लिए सम्मानित किया गया था।
क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में हमारी साझेदारी के अतिरिक्त, भारत और अमेरिका का हमारे मजबूत आर्थिक संबंधों से लाभान्वित होना जारी है। हमारे दोनों देशों में व्यापार का एक इतिहास है जो 18वीं शताब्दी से चला आ रहा है, जो कि हमारे देशों में से किसी की भी आजादी से बहुत पहले का है। हमें खुशी है कि हाल ही में, हमने हमारे गहरे होते आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर का उत्सव मनाया। अमेरिकी कच्चे तेल का पहला शिपमेंट इस महीने की शुरुआत में भारत पहुंचा था, जो कि चार दशकों से अधिक समय में भारत को पहली बार अमेरिकी तेल निर्यात को चिन्हांकित करता था। सतत तेल की बिक्री में प्रति वर्ष 2 अरब डॉलर तक द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की क्षमता है।
वास्तव में, अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंध, जो पिछले वर्ष लगभग 115 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, हमारे दोनों नागरिकों के जीवन के कई हिस्सों को छूता है। अमेरिकी कंपनियों और उत्पादों की भारतीयों की रोज़मर्रा की जीवन में उपस्थिति हैं और हम अमेरिका में भारतीय कंपनियों के बढ़ते हुए निवेश को देखते हैं, जिसमें महिंद्रा वाहन प्लांट भी शामिल है, जो इस महीने संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार भारतीय ऑटोमोबाइल विनिर्माण संयंत्र डेट्रोइट में खुलेगा। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका भी भारतीय अमेरिकी समुदाय सहित गतिशील उद्यमशीलता और नवीनता की भावना को साझा करते हैं। हम अगले महीने हैदराबाद में वैश्विक संबद्धता शिखर सम्मेलन की संयुक्त मेजबानी करने पर गर्व महसूस करते हैं, जहां निजी उद्यम की भावना पूर्ण रूप से प्रदर्शित होगी। दक्षिण एशिया में पहली बार होने वाली GES, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए हमारे लोगों की उद्यमशीलता, महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की अगुआई करने तथा हमारे दोनों देशों के युवा नवप्रवर्तकों की ताकत का इस्तेमाल करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।
लेकिन हमारे मजबूत बंधन के मूल में हमारे साझा मूल्य हैं। हमारे लोकतंत्र व्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्धता पर स्थापित थे। यह नींव ही है कि हम सभी पर एक साथ काम करते हैं, आतंकवाद का मुकाबला करने और एक नियम-आधारित भारत-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा से लेकर स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार बढ़ाने तक, जबकि हम सहयोग के और अधिक क्षेत्रों की तलाश करते हैं। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने जून में संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान कहा था, और मैं उद्धृत करता हूं, “हमारी साझेदारी का भविष्य कभी इतना उज्जवल नहीं दिखा है।” भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका हमेशा दोस्ती और सम्मान में एक साथ बंधे रहेंगे। हम एक और भी उज्ज्वल भविष्य के लिए तत्पर हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद, महामहिम, मेरी मेज़बानी करने के लिए और हमारे बहुत ही सफल और उपयोगी संवाद के लिए। धन्यवाद।
प्रश्न: रायटर से जोनाथन लैंडे।
श्रीमान सेक्रेटरी, 2016 में, भारत और अफ़गानिस्तान ने भारत के लिए छाबाहर के दक्षिणी ईरानियों के पोर्ट को विकसित करने और दक्षिणी अफ़गानिस्तान के लिए एक रेलवे लाइन तैयार करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे एक व्यापारिक गलियारा पैदा हो गया, जो पाकिस्तान की कराची में बंदरगाह पर निर्भरता से अफ़गानिस्तान को मुक्त करवाएगा, जिस तक भारत को पहुंच हासिल नहीं है। भारत परियोजना में लाखों निवेश कर रहा है, जिससे उसे अफ़गानिस्तान में व्यापार और सहायता का विस्तार करने की अनुमति मिलेगी, जो कि आपके प्रशासन की नई दक्षिण एशिया नीति का एक प्रमुख स्तंभ है, फिर भी ट्रम्प प्रशासन ने एक नई रणनीति तैयार की है जो मध्य पूर्व में इसके विस्तार के प्रभाव को कुचलने के लिए ईरान के प्रति अधिक आक्रामक रुख लेती है। क्या ऐसा कोई बड़ा खतरा नहीं है कि दोनों अमेरिकी रणनीतियाँ छाबाहर में टकराएंगी, कि ईरान उस परियोजना पर रोक लगा सकता है, जिसमें वह अफ़गानिस्तान को स्थिर करने के लिए ट्रम्प प्रशासन की योजना में इसके लिए तैयार भूमिका को पूरा करने की भारत की क्षमता को गंभीरता से कमजोर बना रहा है? संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच गंभीर तनावों को देखते हुए आप इसे होने से कैसे रोक सकते हैं? धन्यवाद।
सेक्रेटरी टिलरसन: संयुक्त राज्य अमेरिका की ईरान की दिशा में हाल ही में घोषित नीति के संबंध में, मुझे लगता है कि कुछ चीजों को ध्यान में रखना काफी महत्वपूर्ण है। जैसा कि आप जानते हैं, उस नीति में तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। एक परमाणु कार्रवाई योजना से निपटना है। हालांकि, उस नीति का दूसरा महत्वपूर्ण स्तंभ ईरान की अन्य अस्थिर गतिविधियों से निपटना है – उनका बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम, आतंकवादी संगठनों के लिए उनके हथियारों के निर्यात और विदेशी लड़ाकूओं को उनके अस्थिर निर्यात, यमन, सीरिया और अन्य स्थानों में क्रांति में भागीदारी। और तीसरा स्तंभ, हालांकि, जिसके बारे में फिर से, अधिक बात नहीं की जाती है, वह ईरान के अंदर उदारवादी आवाजों के लिए एक समर्थन है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि ईरान के भीतर ऐसी मजबूत भावनाएं और मूल्य हैं जिसे हम बढ़ावा देना चाहते हैं कि एक दिन ईरानी लोग अपनी सरकार के नियंत्रण को फिर से अपने हाथों में लेने में सक्षम होंगे। वे इस दमनकारी क्रांतिकारी शासन के तहत रहते हैं, और हम ईरानी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं। हमारी लड़ाई ईरानी लोगों के साथ नहीं है। हमारी असहमति क्रांतिकारी शासन के साथ है।
इस संदर्भ में, जैसा कि हम शासन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं – और, विशेष रूप से, ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड – हमारा उद्देश्य है कि उनकी वित्तपोषण क्षमता को असक्षम करना और इन दुर्भावनापूर्ण व्यवहारों से संबंधित गतिविधियों को बाधित करना। ईरानी लोगों को नुकसान पहुंचाने का हमारा उद्देश्य नहीं है, न ही यह हमारा उद्देश्य है कि अन्य व्यवसायों के साथ चल रही वैध व्यापारिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करना, चाहे वे यूरोप, भारत के साथ हों या वे समझौते हों जो हमारे दोस्तों और सहयोगियों को लाभ पहुंचाने के साथ-साथ आर्थिक विकास और गतिविधि को बढ़ावा देते हैं। हमें लगता है कि ऐसा नहीं है – उस नीति के भीतर कोई विरोधाभास नहीं है और, वास्तव में, हम ईरान की गतिविधियों पर प्रतिबंधों को लागू करने में शामिल होने के लिए इनमें से कुछ समान प्रतिपक्षों से अपील कर रहे हैं, और विशेष रूप से, ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर्प्स और उनकी सहायक संस्थाओं की गतिविधियाँ, उनकी अस्थिर करने वाली गतिविधियों के लिए उन्हें दंडित करने के लिए जिसे हम ईरान को इस क्षेत्र में करते हुए देखते हैं।
तो हम – हम वहां एक विरोधाभास नहीं देखते हैं और हमारे सभी मित्रों और सहयोगियों के साथ बहुत खुली वार्ताएँ और चर्चाएं करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसे अच्छी तरह से समझा गया है। लेकिन, अगर हम चिंता के क्षेत्र देखते हैं, तो हम अपने दोस्तों और भागीदारों के साथ उन तरीकों से जुड़ेंगे जिनके लिए हमें विश्वास है कि वे ईरान पर दबाव डालने में मदद कर सकते हैं ताकि ईरान अपनी अस्थिरता वाली गतिविधियों को वापस करे, और मुझे लगता है कि यह दुनिया में कई लोगों के लिए चिंता का विषय है।
प्रश्न: धन्यवाद (अस्पष्ट)। गुड ऑफ्टरनून, मान्यवर। मैं इंडिया टीवी से आशीष हूँ। मेरा सवाल श्रीमान सेक्रेटरी आपके लिए है कि आपने अभी-अभी कहा कि आतंकवादियों के सुरक्षित आश्रयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन हमने देखा है कि कैसे पाकिस्तान राज्य बार-बार आतंकवादियों को आश्रय दे रहा है और सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता रहा है। तो – जब भी इस जटिलता को उनके सामने लाया जाता है, तो वह आसानी से – कुछ सामरिक स्थिति या कुछ गलत आश्वासन दे देते हैं। इसलिए जबकि आप अभी-अभी पाकिस्तान से भारत आए हैं, तो आप इस मुद्दे से निपटने के लिए आगे कैसे देखते हैं, इस मुद्दे को हल करने के लिए, जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है?
सेक्रेटरी टिलरसन: कल इस्लामाबाद में पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ हमारे विचार-विमर्श में, उन चिंताओं पर बहुत खुले, और स्पष्ट विचारों के आदान-प्रदान हुए जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अन्य क्षेत्रीय भागीदारों और सहयोगियों भारत, लेकिन अफ़गानिस्तान भी के साथ साझा करता है कि बहुत से ऐसे आतंकवादी संगठन हैं जिन्हें पाकिस्तान में एक सुरक्षित आश्रय मिलता है, जहां से वे अपने संचालनों और अन्य देशों के खिलाफ़ हमले करते हैं। हमने पाकिस्तान के साथ कुछ विशिष्ट अपेक्षाएँ निर्धारित की हैं जो हमें उनकी सरकार और उनके नेतृत्व से हैं, विशेष रूप से, इन संगठनों, इन संगठनों के नेताओं, और हम सूचना साझाकरण के माध्यम से सहयोग के एक तंत्र को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन न केवल जानकारी साझाकरण; कार्रवाई – इन संगठनों को दूसरों के खिलाफ हमलों को शुरू करने की क्षमता को असक्षम बनाने के लिए कार्रवाई की जाने की अपेक्षा भी।
काफी स्पष्ट रूप से, मेरा विचार है – और मैंने इसे पाकिस्तान के नेतृत्व को व्यक्त किया है – कि हम पाकिस्तान की सरकार की स्थिरता और सुरक्षा के बारे में भी चिंतित हैं। चूंकि इन आतंकवादी संगठनों ने अपनी संख्याएँ बढ़ाई है और पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर अपनी ताकत और अपनी क्षमता को बढ़ाया है, इससे पाकिस्तान की अपनी स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। यह किसी के हित में नहीं है कि पाकिस्तान की सरकार अस्थिर हो। और इसलिए हमें लगता है कि न सिर्फ इन संगठनों को रोकने में हम एक पारस्परिक साझा रुचि रखते हैं, बल्कि अंततः इन संगठनों को नष्ट करने में भी रुचि रखते हैं। मुझे लगता है कि हम सभी को अपने आप को आतंकवाद के उन्मूलन, हिंसक उग्रवाद के प्रति किसी न किसी रूप में प्रतिबद्ध करना होगा। और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय और वैश्विक प्रयासों और आम दृष्टिकोण और एक सामान्य उद्देश्य और मिशन की आवश्यकता है।
और इसलिए ये ऐसी अपेक्षाएँ हैं जो हमने पाकिस्तान के नेतृत्व के सामने रखी हैं। हम पाकिस्तान के साथ एक सकारात्मक तरीके से काम करना चाहते हैं क्योंकि हमें लगता है कि दीर्घकाल में यह उनके भी हित में है।