12 जून, 2019
अमेरिका चैम्बर ऑफ कामर्स
वाशिंगटन, डी.सी.
सेक्रेटरी पोम्पेयो: सभी का धन्यवाद और गुड आफ्टरनून। मुझे यहां बुलाने के लिए धन्यवाद। मैं इंडिया आइडियाज शिखर-सम्मेलन, अमेरिकी चैम्बर के अध्यक्ष टॉम डोनोहुई, और साथ ही साथ USIBC की अध्यक्षा निशा बिसवाल को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं साथ ही कैंटकी के गर्वनर मैट बैविन का भी आभार प्रकट करना चाहता हूं – आप कहाँ बैठे हैं? वहाँ पर।
आप जानते हैं कि यह द्विपक्षीय है; मैंने आज प्रोग्राम में न केवल मैट को देखा बल्कि न्यू जर्सी के गवर्नर फिल मर्फी को भी देखा, इसलिए हमारे पास एक द्विदलीय एजेंडा है। यह बहुत बढ़िया है।
मुझसे पूछा गया कि क्या मैं आज यहाँ आकर बोलूंगा। यह एक सर्वोत्तम समय निकला क्योंकि मैं कुछ ही समय में भारत की यात्रा पर जा रहा हूं, और मुझे यहां संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत दोनों के नेताओं के एक समूह के साथ यहां आने का अवसर मिला है। और मुझे पता है कि आपकी अब तक की यात्रा शानदार रही, यह अच्छी प्रगति रही है। मैं समझता हूं कि आप हमारे बीच की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाओं में से एक के बारे में गहरी, महत्वपूर्ण बातचीत कर रहे हैं, दुनिया को बदलने की बड़ी क्षमता के साथ कुछ, गहरी अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं जो अरबों लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं।
बेशक, वह है क्रिकेट वर्ल्ड कप। (हँसते हैं।)
यह आज एक गंभीर मामला है, तो हर तरह के मजाक को एक तरफ रखें, यहां इतने सारे भारतीय और अमेरिकी व्यापारिक लोगों को इकट्ठे यहां आकर हमारे दो देशों को एक साथ लाने के लिए काम करते देखकर, और बड़े विचारों के बारे में बात करते देखकर बहुत खुशी हुई। चुनाव के बाद मेरी आगामी यात्रा के लिए तैयारी करते समय, यह परियोजना मेरे दिमाग में भी सबसे आगे रही है।
यह बढ़िया रहा। हमने यात्रा की तैयारी की, और फिर भारत ने यह समाचार सुनाया, तो यह बहुत अच्छा रहा – बिलकुल वैसा ही जैसा कि हमने योजना बनाई थी। मुझे प्रधानमंत्री मोदी और मेरे नए समकक्ष, विदेश मंत्री जयशंकर और उद्योग प्रमुखों और अन्य लोगों के साथ फिर से मिलने का अविश्वसनीय सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं थोड़े समय के लिए भारत में रहूंगा।
और मैं आपको थोड़ा सा पूर्वावलोकन कराना चाहता हूं, मेरे मिशन का एक छोटा सा पूर्वावलोकन, और आपको बताता हूं कि मैं वास्तव में क्यों मानता हूं कि यह हमारे दोनों देशों में हमारे दोनों ओर के लोगों की, इंडो-पैसीफिक क्षेत्र की और वास्तव में पूरी दुनिया की भलाई के लिए एक साथ मिलकर आगे बढ़ने का एक अनूठा अवसर है।
अमेरिका-भारत साझेदारी का विचार स्पष्ट रूप से एक लंबे समय से चला आरहा है। यह एक नया विचार नहीं है; यह आप सभी जानते हैं। जब 70 साल पहले भारत के लोगों ने बहादुरी से अपनी आजादी को हासिल किया था, तो हमारे देशों के बीच के मजबूत संबंध के बारे में लोग बात किया करते थे। हमारे दो लोकतंत्र और एक मजबूत संबंध अपरिहार्य लगता है, यह बात “कब” के बारे में है “यदि” के बारे में नहीं।
लेकिन बहुत लंबे समय तक – वास्तव में, दशकों तक – हमने खुद को अलग पथ पर पाया। संयुक्त राज्य अमेरिका शीत युद्ध लड़ रहा था।
और भारत अपने गैर-गठबंधन आंदोलन के माध्यम से अपने स्वयं के नए अधिकारों, अपने स्वतन्त्र अस्तित्व को पोषित करने का प्रयास कर रहा था। हमने सहयोग किया जब हम कर सकते थे, लेकिन स्पष्ट रूप से मुझे लगता है कि अधिकांश सहमत होंगे कि हम ज्यादातर अपनी क्षमता से पीछे रह गए।
हम कुछ ज़्यादा व्यापार नहीं कर पाए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था एक क्लोज़्ड अर्थव्यवस्था थी। लाइसेंस राज ने व्यापारों और अन्वेषकों को अंधेरे में रखा गया और लाल फीताशाही में फंसे रहे।
पंचवर्षीय योजनाएं प्राप्त ज्ञान बन गईं है, जैसे कि अंतिम प्रशासन में हमारा 2 प्रतिशत विकास कुछ नया सामान्य जैसा बन गया है। हमने अपना ध्यान अन्य एशियाई व्यापारिक साझीदारों पर केंद्रित किया और जो कभी एक बार शावक हुआ करते थे वे अब इस क्षेत्र में सच्चे बाघ बन गये हैं।
लेकिन ये सब 1991 में बदल गया, जबकि भारत ने अपने दरवाज़े दुनिया के लिए खोल दिये। प्रधानमंत्री राओ ने अपने समय की सरकार के समय कहा था, उनके शब्दों में “पुराने जालों को हटाएंगे और परिवर्तन की शुरूआत करेंगे।”
भारत के मुक्त- बाजार में सुधार ने नवाचार, उद्यमशीलता, अपने ही लोगों के उल्लेखनीय कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया है। मैग ने कुछ चीजों के बारे में बात की जो हुआ; उनका दुबारा उल्लेख करना महत्वपूर्ण है।
प्रथम, हमने 1997 से 2017 तक, साल-दर-साल भारत में 7 प्रतिशत की वृद्धि की है। लाखों भारतीय गरीबी से बाहर निकल आये हैं। भारत आईटी में अग्रणी है – आईटी सेवाएं, इंजीनियरिंग, फार्मास्यूटिकल, और बहुत सी ऐसी चीजें जिनके बारे में आप सभी अच्छे से जानते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत का द्विपक्षीय व्यापार पिछले ही साल $142 बिलियन तक पहुंच गया है, 2001 से सात गुना वृद्धि।
साथ ही, 500 से अधिक अमेरिकी कंपनियां अब सफलतापूर्वक भारत में काम कर रही हैं। और बेशक, संयुक्त राज्य अमेरिका सामान और सेवाओं में भारत के लगभग 20 प्रतिशत निर्यात के लिए बाजार है।
वह समृद्धि जो 1991 में शुरू हुई थी, जिसने भारतीयों को पृथ्वी के हर कोने तक पहुंचाने में मदद की है। आज दर्शकों में से कई इस उल्लेखनीय भारतीय समृद्धि और वृद्धि के पहले या दूसरी पीढ़ी के लाभार्थी हैं।
भारतीय-अमेरिकियों ने भी संयुक्त राज्य अमेरिका में यहां हुई चीजों में बहुत योगदान दिया है। हमने भारतीयों को उद्योग और शिक्षा, और सरकार की ऊंचाइयों तक पहुँचते हुए देखा है। माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, और फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन के अध्यक्ष अजीत पाई, एक महान कैंसस निवासी, ने दुनिया भर में उल्लेखनीय काम किये हैं।
अमेरिका के दोनों पार्टियों के राष्ट्रपतियों ने नजदीकी संबंध बनाने के इस मौके का फायदा उठाया है। 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन की यात्रा एक वास्तविक मार्कर थी, उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए वार्ता टेबल तैयार की, और फिर राष्ट्रपति बुश ने ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किये।
अभी हाल ही में, राष्ट्रपति ओबामा ने भारत को “प्रमुख सुरक्षा साझीदार” की स्थिति प्रदान की, और भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट की तलाश का समर्थन किया – एक ऐसी स्थिति जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थन करना जारी रखेगा।
और राष्ट्रपति ट्रम्प के तहत, हमने अपने सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाईयों तक ले गये हैं, इंडो-पैसीफिक के लिए हमारे साझा लक्ष्य को ठोस बनाया है, और इस क्षेत्र में आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के अस्वीकार्य समर्थन पर एक मजबूत स्थिति ली है।
जब प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में व्हाइट हाउस का दौरा किया, तो उन्होंनेऔर राष्ट्रपति ट्रम्प ने बहुत सारे अच्छे विचारों को एक दूसरे के साथ साझा किया और आपस में गले मिले।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा – उन्होंने कहा कि भारत के हित मजबूत, समृद्ध और सफल अमेरिका में निहित हैं। उसी तरह से [कि] भारत के विकास और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी बढ़ती भूमिका “संयुक्त राज्य अमेरिका के हित में भी है।” और मैं बेशक अधिक सहमत नहीं हो सका।
हम लंबा सफर तय कर चुके हैं। और अब ट्रम्प के प्रशासन और मोदी के प्रशासन के पास इस विशेष साझेदारी का लाभ उठाने का एक अनूठा अवसर है। हम और आगे बढ़ सकते हैं।
और मैं इस बारे में बात करना चाहता हूँ, कि मैं ऐसा क्यों मानता हूँ।
मैग को यह अधिकार मिला। कुछ हफ्ते पहले, असल में एक ऐतिहासिक चुनाव – 600 मिलियन भारतीयों ने इतिहास में मताधिकार के सबसे बड़े अभ्यास में मतदान किया। और उन्होंने श्री मोदी को बहुत विशाल जनादेश दिलाया।
1971 के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री को एक ही पार्टी के बहुमत के साथ दोबारा नहीं जिताया गया है, और – इस एक शैली पर उन्होंने अपनी जीत का बहुत आनंद उठाया।
कई पर्यवेक्षक परिणाम से हैरान थे, लेकिन, सच कहूँ तो, मुझे हैरानी नहीं हुई। मैंने सब करीब से देखा। मेरी टीम विदेश विभाग पर करीब से नज़र रख रही है। और हम जानते थे – हम जानते थे कि प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र के लिए एक नए तरह के नेता हैं। वह एक चाय बेचने वाले के बेटे हैं जिन्होंने 13 साल तक राज्य के शासन के लिए अपना काम किया और अब वह दुनिया की उभरती हुई शक्तियों में से एक है।
उन्होंने सबसे गरीब भारतीयों के लिए आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी। और वास्तव में, लाखों लोग जिनके पास कभी बिजली नहीं थी, अब उनके पास बिजली हैं। और लाखों लोग जिनके पास खाना बनाने में प्रयुक्त होने वाली गैस नहीं थी, अब उनके पास गैस है।
यह दिलचस्प है – यह दिलचस्प है कि युवा भारतीयों ने प्रधानमंत्री के सबसे बड़े मतदान ब्लॉकों में से एक का गठन किया, जो हालिया चुनाव में समर्थन के सबसे बड़े समूहों में से एक है। मुझे लगता है कि यह हमें कुछ समझाता है। मुझे लगता है कि यह आपको कहना चाहता है कि भारतीय मतदाता सोचते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी उनमें से प्रत्येक के लिए एक नए, अधिक समृद्ध भविष्य का रास्ता खोल सकते हैं।
मेरी ओर से, राज्य का सेक्रेटरी होने के नाते, मुझे पता है कि मेरे पास एक मजबूत साथी, एक नए, महान समकक्ष मंत्री जयशंकर है – संयुक्त राज्य अमेरिका में एक पूर्व राजदूत, जिन्हें इस कमरे में बैठे अधिकांश लोग अच्छी तरह से जानते हैं।
उन्होंने अप्रैल में कहा – उन्होंने कहा कि वह अमेरिका के साथ एक बढ़िया संबंध बनाने के लिए तैयार हैं – और उन्हें पता है कि यह भावना पारस्परिक है। हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
अब बताता हूँ कि हम इसके बारे में कैसी सोच रखते हैं।
सबसे पहले, हमें मजबूत संबंध बनाने होंगे। इस जनसमूह के बारे में महान बातों में से एक – वास्तव में, राजनैतिक दुनिया में – हमारा भारत के साथ एक लंबा रिश्ता रहा है। असल में, हमने अपने कुछ बुद्धिमान लोगों डैनियल पैट्रिक मोयनिहान और हमारे वर्तमान राजदूत, केन जस्टर जैसे विचारकों को नई दिल्ली भेजा है।
लेकिन मजबूत संबंधों को बनाए रखना ज्यादा जरुरी है। इसका मतलब है कि इस व्यक्तिगत मित्रता को औपचारिक रूप देना, हमारे दोनों देशों के लिए एक कूटनीतिक ढांचे का निर्माण करना है। मुझे लगता है कि हमने ऐसा किया है, लेकिन अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। पिछले साल हमने 2+2 की बातचीत करनी बंद कर दी और मैं रक्षा सचिव के साथ इसमें भाग लेने गया।
हमने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे इंडो-पैसीफिक में सभी समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों – के बीच क्वाड डायलॉग को भी पुनर्जीवित किया है। मैं अगले हफ्ते दिल्ली में अपनी बैठकों के इंतजार में हूं – और हां, चाय पीने के भी।
लेकिन मैं कुछ अन्य चीजों के बारे में बात करना चाहता हूं, जो मुझे विश्वास है कि हम उन्हें मिलकर कर सकते हैं। हमें उस रणनीतिक ढांचे को गले लगाना चाहिए जो कि मैं – जो हमारे दोनों देशों के लिए काम करता है। हम भारत को इसकी अनूठी राजनीति और अनूठी रणनीतिक चुनौतियों के साथ वास्तव में सर्वश्रेष्ठ, महत्वपूर्ण देश के रूप में सम्मान देते हैं।
हम समझ गए। हम महसूस करते हैं कि उस समय महासागर के पार से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से समझौता करना अलग बात है जब वह आपकी सीमाओं पर होते है।
इसलिए ही इस कमरे में, अभी कुछ महीने पहले ही, मैंने स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत के दृष्टिकोण के बारे में राष्ट्रपति ट्रम्प को विस्तार से बताया। यह इस आधार से शुरू होता है कि हम मान्यताओं – लोकतंत्र और स्वतंत्रता तथा मानव आत्मा की सरलता में मूल विश्वास की मान्यताओं को साझा करते हैं।
और यह महज स्वाभाविक है – यह महज स्वाभाविक है कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र को पूरे इंडो-पैसीफिक में हमारी साझा की गई दूरदर्शिता को बनाए रखने के लिए दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के साथ भागीदार होना चाहिए।
हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बीच आर्थिक खुलापन हो। हमारे पास एक केंद्रीय विषय का ऐसा विचार होना चाहिए कि हमारे दोनों राष्ट्रों में स्वतंत्रता और संप्रभुता हो, और जो उन विचारों के ऊपर निर्मित हो। इन विषयों को उस स्थान पर रखना चाहिए, जहाँ आर्थिक विकास हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करे, न कि तानाशाही को। इसे ऐसी जगह स्थित करना चाहिए जहाँ हमारी साझेदारी सच्ची बराबरी की हो, ना कि हकूमत करने के लिए हो। पिछले साल नई दिल्ली में मेरे वार्तालाप के अधार पर, और उसके बाद के फोन कॉल और बैठकों के आधार पर, मेरा मानना है कि हमारे बीच गहरी साझा दूरदर्शिता है।
तीसरा, हमें अपना कर्तव्य पूरा करना होगा। हमें अमल करना होगा।
ट्रम्प प्रशासन ने पहले से ही अमेरिकी कंपनियों को भारत में अधिक हाई-टैक (उच्च-तकनीकी) वस्तुओं का निर्यात करने में सक्षम बनाया है। इसमें सशस्त्र UAVs और बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसे अत्याधुनिक रक्षा मंच शामिल हैं। हमने पहले ही एशिया-एज कार्यक्रम शुरू कर दिया है, जिसके लिए मैग ने भारत को अपनी ऊर्जा और सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए कहा है।
यह ठोस उपलब्धियां हैं, लेकिन इससे भी बहुत कुछ करना चाहते हैं।
स्पष्ट रूप से हमारे परस्पर हित हैं: रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष। यह सूची जारी है।
रक्षा क्षेत्र में, पहला पैच – या मुझे माफ करना, अपाचे हेलीकॉप्टरों का पहला बैच एरिज़ोना में बोइंग की उत्पादन लाइन से आ रहा है, जैसा कि हम बोलते हैं।
लॉकहीड मार्टिन के F-21 और बोइंग के F/A-18 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान ऐसे हैं जो भारत को वह क्षमता प्रदान कर सकते हैं जो कि पूरे इंडो-पैसीफिक क्षेत्र में उसे पूर्ण सुरक्षा प्रदाता बनायेंगे।
ऊर्जा क्षेत्र में, हम वेस्टिंगहाउस सिविल परमाणु परियोजना को पूरा करना चाहते हैं, और अधिक LNG और कच्चे तेल की आपूर्ति करना चाहते हैं। इन कदमों से भारतीयों को विश्वसनीय, सस्ती, विविधतापूर्ण ऊर्जा स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे उन्हें अब वेनेजुएला और ईरान जैसे दुस्साध्य शासनों पर आश्रय नहीं करना पड़ेगा।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में, नासा पहले से ही दुनिया के सबसे उन्नत पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह और भारत के दूसरे चंद्र मिशन (लुनार मिशन) पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ काम कर रहा है। मतलब, कितनी बढ़िया बात है, ना?
अब, मुझे यकीन है कि हम कुछ कड़े विषयों पर भी ध्यान देंगे। लेकिन जैसा कि हम लोकतंत्रों को पता चला है, कि हम अपनी असहमतियों पर काम करते हैं। हम उन्हें ईमानदारी से और निष्पक्ष रूप से तालिका पर लाते हैं। और हम शायद GSP कार्यक्रम के हालिया निर्णय पर चर्चा करेंगे।
मैं आशा करता हूं, और साफ दिल वाला रहूँगा – और हम हमेशा बातचीत करने के लिए उपलब्ध रहेंगे, और आशा करते हैं कि भारत में हमारे दोस्त अपने स्वयं के कंपनियों, अपने स्वयं के व्यवसायों, अपने स्वयं के लोगों और निजी क्षेत्र की कंपनियों की प्रतिस्पर्धाओं में अपने व्यापार बाधाओं को छोड़कर और विश्वास रखेंगे।
हम केवल अमेरिकी कंपनियों की मदद करने के लिए ही नहीं, बल्कि डेटा की सुरक्षा और उपभोक्ताओं की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए, सीमाओं के पार डेटा के स्वतंत्र प्रवाह की प्रेरणा देते हैं।
और हम गोपनीयता की बात करें तो हम भारत को सुरक्षित संचार नेटवर्क स्थापित करने में मदद करने के लिए उत्सुक हैं – जिसमें 5G नेटवर्क भी शामिल है।
देखिए, यह कुछ ऐसी बातें हैं जो हमारी ज़बान पर होती हैं, हमारे दिमाग में चलती रहती हैं। मैं यहाँ पर हर बात की चर्चा नहीं कर सकता क्योंकि मैं आश्चर्य को खराब करना नहीं चाहता हूँ। लेकिन यह कहना काफी होगा कि हमारे बीच गहरा महत्वपूर्ण रिश्ता है, और मुझे पता है कि यह बातचीत हम भारत में नई सरकार आने के साथ जारी रखेंगे, जिसने अपने लोगों के लिए, हमारे रिश्ते के लिए और दुनिया के लिए बहुत से वादे किये हैं – मुझे उम्मीद है, हम साथ मिलकर अंततः सहयोग के महान वादे को पूरा करेंगे जो कि यह भारत के जन्म के समय मौजूद था और जो आज भी प्रत्यक्ष है।
यह बड़ी योजनाएं हैं। इसके लिए ही आप सब यहाँ आये हो। और हमारे पास बड़े मौके भी हैं। और मैं अगले हफ्ते अपनी यात्रा के लिएऔर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए और मेरे नए समकक्ष से आमने-सामने मुलाकात करने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हालिया अभियान में कहा था – उन्होंने कहा था, “मोदी है तो मुमकिन है,” “मोदी इसे मुमकिन बनाता है।” मैं अपने दोनों मुल्कों के लोगों के बीच क्या संभव है, यह जानने के लिए उत्सुक हूँ और मैं आज हमारी बातचीत के लिए उत्सुक हूँ, मेग।
आप सभी का धन्यवाद। (तालियाँ बजती हैं।)
सुश्री जेंटल: श्री सेक्रेटरी जी, हम आज आपसे यहाँ खुली बातचीत करते हुए बहुत खुशी हुई। आपने रणनीतिक पहल के बारे में बहुत सारी बातें कीं, इसलिए मुझे लगा कि शायद हम रणनीतिक स्तर पर शुरुआत करेंगे। आपके इंडो-पैसीफिक क्षेत्र के बारे में नज़रिए के हिसाब से आपको कैसी चिंताएं है? जैसा कि आपने कहा, इन बहुत सारे नए अवसरों पर, ऐसी कौन-सी चुनौतियाँ होंगी, जिनका हमें सामना करना होगा?
सेक्रेटरी पोम्पेयो: साफ-साफ कहूँ तो, यहीं अमेरिकी चैंबर में अपनी हालिया टिप्पणियों पर मैंने असल में उस बारे में बात की। मुझे लगता है कि हमने उस समय को बहुत अच्छी तरह से निष्पादित किया है, लेकिन स्पष्ट रूप से, अभी और भी बहुत सारे काम हैं जो अभी भी किए जाने बाकी हैं।
देखिए, हम सभी राष्ट्रों की सामान्य चुनौतियों को जानते हैं जो हमारे मान्यताओं के संग्रह को साझा नहीं करते हैं, ऐसे राष्ट्र, जो निजी सदस्यता नहीं लेते हैं – निजी संपत्ति के नियम और कानून के शासन और आदेशित स्वतंत्रता और सभी चीजें जो भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों को महत्व देती हैं। खैर, यह हम में साथ में काम करने वाले लोगों के लिए कितना महंगा पड़ेगा? इसके लिए कुछ चीजें चाहिए होंगी। इसके लिए वास्तविक विश्वास और प्रतिबद्धता चाहिए होगी, और इसे बनाने में कड़ी मेहनत लगेगी, हमें मुश्किल और सुखद समय में एक साथ रहना होगा, यह स्वीकार करना होगा कि हमें अपने देशों के बीच विन-विन (जीतो-जीत) समाधान विकसित करना है।
और जैसा कि मैंने इस क्षेत्र में बहुत समय बिताया है – मुझे लगता है कि राज्य का सेक्रेटरी होने के नाते अब मुझे 15, 16 महीने हो गये हैं, मैंने देखा है – मैंने इस क्षेत्र में राष्ट्रों को देखा है – भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, मैं पूरी सूची बता सकता हूँ – मैंने देखा है कि उन देशों को यह पता चला है कि हमारे पास बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन पर हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं, इतने सारे साझे अवसर हैं, जिनका हम फायदा ले सकते हैं, वास्तव में, उन उनका फायदा ले रहे हैं। हमें स्पष्ट रहना होगा, हमें ईमानदार रहना होगा, जहाँ हमारी असहमति हो, हमें उन्हें मानना होगा, उन पर काम करना होगा है, ऐसे समझौते खोजने करना है जो इस क्षेत्र में हर देश के लिए अच्छे परिणाम प्रदान करते हों, और फिर सामूहिक रूप से – साथ मिलकर, इस तरह काम करना शुरू होगा, जो अगले पांच, दस, पच्चीस वर्षों में पूरे विश्व में और इन देशों के लिए पूरे इंडो-पैसीफिक क्षेत्र में विकास प्रदान करेगा।
सुश्री जेंटल: अच्छा, और मुझे वास्तव में प्रोत्साहित किया गया कि आपसे कई ऐसे उद्योगों के बारे में जाना जाये, जिनमें हमारा आर्थिक सहयोग अमेरिका और भारत के बीच बढ़ रहा हो। तो जैसा कि आप चैंबर बैठक में पिछले साल रखी गई रणनीति के बारे में सोचते हैं, ऐसी कौन-सी आर्थिक प्राथमिकताएं हैं, जिन्हें आप उस बड़ी रणनीति के भीतर पूरा करना चाहते हैं?
सेक्रेटरी पोम्पेयो: मैंने उनमें से कुछ के बारे में पहले बताया है। मैंने पूरी कहानी नहीं बताई – मैंने भारत में व्यापार किया है जब मैंने – पहले मैं मूर्खता करके सम्मेलन के पीछे भागा, मैंने छोटा व्यापार चलाया, जिसमें एयरोस्पेस उद्योग के लिए मशीन के पुर्जे बनाए गए जाते थे। और मैंने बैंगलोर में और चेन्नई में एचएएल – हिंदुस्तान एविएशन * लिमिटेड के साथ – काम करते हुए काफी समय बिताया – हम उत्पाद बेचते थे – हमारा छोटा-सा संयुक्त उद्यम था। पता है, क्या। वह बहुत मुशकिल था। भारत अभी भी आगे बढ़ रहा था, यह तब भी अपने रास्ते ढूँढ रहा था, पर वहां पर वास्तविक मूल्य प्रस्ताव मिला, और हमने अच्छा प्रदर्शन किया।
जब मैं उस बारे में सोचता हूं, जब मैं सोचता हूँ कि एक दूसरे के देशों में निवेश करने के लिए उन्हें किन व्यवसायों की आवश्यकता है, तो उन्हें स्थिरता की आवश्यकता है, उन्हें नियमों के एक सेट की आवश्यकता है जिसे वे समझ सकते हों, उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका से जो प्रयास हम साथ में करते हैं उनमें पर्याप्त द्विदलीय हों, ताकि वे इसका शिकार ना बनें, जैसे कि हमारे यहाँ शिकार होने वाले हैं। यही है, जब आप निवेश करते हैं, तो आपका ROI अक्सर किसी विशेष सम्मेलन या किसी विशेष प्रशासन से परे होता है।
अगर हम उन चीजों को कर सकते हैं – और मैंने कुछ क्षेत्रों के बारे में बात की है। ऐसा पहले से ही प्रौद्योगिकी और इंजीनियरों के क्षेत्रों में हो रहा है। मैं अपने शहर के विचिटा स्टेट यूनिवर्सिटी में हमारे विद्यालयों में अध्ययन करने के लिए आने वाले अद्भुत, शानदार भारतीय छात्रों के बारे में जानता हूँ, उनमें बहुत से अद्भुत लोग हैं जो अद्भुत चीजें करते हैं वह उन जगहों पर काम करना चाहते हैं, जहाँ वे पैसे कमा सकें और सफल हो सकें। वह इस बात की परवाह नहीं करते कि वह जगह कोई भारतीय कंपनी हो या अमेरिकी कंपनी हो। वे बाहर जाकर अपने कौशल का उपयोग करना चाहते हैं।
यदि हम विदेश विभाग में, इसके लिए आधारशिला रख सकते हैं, तो मुझे विश्वास है कि इस कमरे में उपस्थित लोग बहुत अच्छी तरह से कार्य करेंगे। ये जोखिम उठाएँगे, ये पूँजी निवेश करेंगे, ये यहाँ और भारत में पूँजी निवेश करेंगे, और हम मिलकर संबंधों के दोनों पक्षों को विकसित करेंगे।
सुश्री जेंटल: और श्री सेक्रेटरी जी, जैसा कि आप अर्थव्यवस्था के बारे में बात की, आप – जैसा कि आप उम्मीद करेंगे, मैं ऊर्जा के क्षेत्र बारे में एक मिनट के लिए बात करना चाहूंगी, जो ऐसा मुद्दा है, जिसपर मैं बहुत नज़र रखती हूँ। और मैंने आपको और प्रशासन के अन्य लोगों को अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा की क्षमता के बारे में बात करते सुना है – क्षमा करें, इसका दूसरा अर्थ यह भी है, “विकास को बढ़ावा देते हैं” – और LNG के पास वास्तव में स्वच्छ हवा, विखंडित अर्थव्यवस्था के लिए मोदी प्रशासन की कई पहलों और लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता है। तो क्या हम उन ऊर्जा कंपनियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो स्टेट डिपार्टमेंट की रणनीतिक पहलों के साथ संरेखित हैं?
सेक्रेटरी पोम्पेयो: यह तो लाजवाब सवाल है। मैं इस बारे में बहुत बात करता हूँ। राज्य का सेक्रेटरी होने के नाते मुझे लगता है कि यह – मुझे लगता है कि यह अमेरिकी व्यवसायों के लिए वास्तविक अवसर प्रदान करता ही है, साथ में वैश्विक विकास के लिए भी अवसर प्रदान करता है। हम संयुक्त राज्य अमेरिका में यहीं प्रचुर मात्रा में सस्ती ऊर्जा पाकर धन्य हो गए हैं, और हम अब कच्चे तेल का ही नहीं बल्कि साथ ही प्राकृतिक गैस का भी बड़े स्तर पर इसका उत्पादन कर रहे हैं।
इसलिए हमारी ओर से हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उस अवसंरचना का निर्माण करें जो आवश्यक है, ताकि हमारे पास अवसंरचना हो ताकि हम इसे वितरित कर सकें और इन अवसरों को प्रदान कर सकें। और फिर स्टेट डिपार्टमेंट की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि हम इस बारे में बात कर रहे हैं, अन्य देशों के साथ साझा करते हों – कि हम उनकी ऊर्जा के लिए विश्वसनीय भागीदार हो सकते हैं। जब आप ऊर्जा में निवेश करते हैं, तो इसके लिए 10 साल, 20 साल, 40 साल तक पूंजी जोखिम में रहेगी, और इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे समझे कि हम एक विश्वसनीय साथी हैं – कि हम अनुबंध का सम्मान करते हैं, कि हम कर सकते हैं, और पूंजी बाजार यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि हम इसे सस्ती विधि से वितरित करें। और जब हम ऐसा करते हैं, मुझे लगता है कि हम दुनिया में बहुत सारी जगहों पर विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, और मुझे लगता है कि भारत एक महान उदाहरण है। उनके पास एक पूरी तरह से विविध ऊर्जा पोर्टफोलियो हो सकता है जहां उन्हें उन राष्ट्रों पर भरोसा नहीं करना पड़ता है जो संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह विश्वसनीय नहीं हैं और जिनके अच्छे परिणाम हैं, परिणाम यह कि उनके व्यापारिक नेता भरोसा कर सकते हैं, और स्पष्ट रूप से कि अमेरिकी लोग भारत में निवेश करने के बारे में भी सोच रहे हैं।
सुश्री जेंटल: न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी मूलभूत सुविधाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसा कुछ जो शिखर सम्मेलन राज्य-से-राज्य और शहर-से-शहर संबंध निर्माण के लिए कुछ करने की कोशिश करता है। और क्या आप इस बारे में थोड़ी बात कर सकते हैं कि समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में वह राज्य और स्थानीय स्तर का संबंध कैसे महत्वपूर्ण है और राज्य और स्थानीय पहलों को बेहतर बनाने के लिए हम व्यवसायों के रूप में क्या कर सकते हैं?
सेक्रेटरी पोम्पेयो: मुझे नहीं पता कि आपके दूसरे प्रश्न का उत्तर कैसे दिया जाए। पहला सवाल यह है कि हम सभी ने ऐसा यहां संयुक्त राज्य अमेरिका में देखा है। संघीय सरकार द्वारा हरी बत्ती वाली एक बड़ी परियोजना को विभिन्न कारणों से किसी शहर या राज्य द्वारा आयोजित किया जा सकता है। यही बात अन्य देशों में भी है – हम व्यापार वहाँ करते हैं जहाँ उनके ऐसे स्थानीय नियम हैं या जो लोग किसी विशेष परियोजना में राष्ट्रीय सरकार के हित को साझा नहीं करते हैं, वे व्यवसाय करने का प्रयास करते हैं।
देखिए, मुझे लगता है कि बिजनेस लीडर के रूप में हमें उस बारे में ईमानदार होना होगा। हमें अभी इसका सामना करना है। हमें यह मामला बनाना होगा कि यह क्यों फायदेमंद है, यह अर्थव्यवस्था इतना क्यों मायने रखती है। और फिर निश्चित रूप से ऐसे समय भी आते हैं जब राष्ट्रों को यह निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ती है कि हम इन निर्णयों को संघीय स्तर पर रखने जा रहे हैं क्योंकि उनका जो वास्तविक प्रभाव है, वह कहीं आगे जाता है कि किसी विशेष राज्य को इसमें दिलचस्पी है, और सच में, इसका सभी अमेरिकियों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान करने की अमेरिका की क्षमता पर गहरा प्रभाव है। मुझे लगता है कि अन्य संप्रभु देशों के लिए ऐसा ही है।
सवाल: और जैसा कि आप व्यवसाय के दृष्टिकोण से जानते हैं, हम – हम समाचार देख रहे हैं, हम देखते हैं कि आप समाचार में क्या कर रहे हैं, और हाल ही की कुछ सुर्खियों में कुछ लोग भविष्य की आर्थिक भागीदारी के लिए परेशान करने वालों के बारे में चिंतित हैं। ऐसे क्या तरीके हैं जिनसे हम अमेरिका और भारत की साझेदारी के बारे में आश्वस्त बाजारों के कुछ प्रकारों को उलट सकते हैं?
सेक्रेटरी पोम्पेयो: देखिए, मुझे लगता है कि अगर आप अभी और ढाई साल इस प्रशासन को देखें, तो मुझे लगता है कि जिन देशों ने हमारे साथ भागीदारी की है और हमारे साथ निवेश करने के लिए चुना है और जिन्होंने अपने बाजार खोले हैं और अमेरिकी व्यवसायों को उन्हीं शर्तों पर निवेश करने की अनुमति देने के लिए तैयार हैं – उनके देश में, कि उनके देश को यहां निवेश करने की अनुमति है, और हमें उचित और पारस्परिक व्यापार मिलता है, मुझे लगता है कि उन्होंने अमेरिका को अपने लिए खुला देखा है, और मुझे लगता है कि उन्होंने वास्तविक अवसर देखा है।
जब प्रतिस्पर्धा की बात आती है तो अमेरिकी व्यवसाय निडर होते हैं। हम कुछ खो देंगे, लेकिन हम अपना उचित हिस्सा भी पा लेंगे। और प्रत्येक मामले में, हम दोनों देशों के हित को आगे बढ़ाएंगे। मैंने देखा है – मैं हिस्सा रहा हूँ – मैं उन अधिकांश वार्ताओं का हिस्सा रहा हूँ जो व्यापार प्रणालियों के माध्यम से काम कर रहे हैं। उनमें ऐसी प्रणालियाँ भी शामिल थीं, जो उचित नहीं थीं, और राष्ट्रपति ट्रम्प ने उन स्तरों को सेट करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हम इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं। हम इस बारे में ईमानदार हैं कि हम इसे पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। हम बाधाओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं – वित्तीय बाधाएं, गैर-टैरिफ बाधाएं – और उन संयुक्त विचारों के अनुरूप खुले बाजार बना रहे हैं, जिन्हें हम संयुक्त राज्य अमेरिका में यहां रखते हैं। मुझे लगता है कि यही भारत को एक आदर्श भागीदार बनाता है और हमारे लिए बढ़िया जगह है कि हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कैसे विकसित करें और दोनों देशों के लिए जीत-जीत समाधान प्राप्त करें।
सुश्री जेंटल: और हमने प्रशासन के भीतर बहुत सारी एजेंसियों से ऐसा सुनने वाले हैं , इसलिए वाणिज्य, OPIC या शायद, USTDA के चैंबर से सेक्रेटरी रॉस। इसलिए जब एजेंसियां व्यापार पहल के माध्यम से काम कर रही हैं, तो हम यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवसायों के रूप में क्या कर सकते हैं कि हमारे हितों को आपके साथ जोड़ दिया जाए? हम हमेशा आपके और प्रशासन के साथ मिलकर काम नहीं करते हैं, जैसा कि हम भारत में बहुत से राज्य के स्वामित्व वाले व्यवसायों में देखते हैं।
सेक्रेटरी पोम्पेयो: हाँ। तो देखो, यह – हमारे पास एक अनियंत्रित, प्रचंड सरकार है – (हँसते हैं) – मेरा तात्पर्य है कि हमने अलग-अलग प्राधिकरणों को अलग-अलग शक्तियाँ दी हैं – जो ओवरलैप हो गई। यदि आप कोई सौदा करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आप – आपको कई एजेंसियों से निपटना होगा। बस – यह सच है, सिर्फ तथ्य है। मुझे आशा है कि हमने यह पता लगाया है कि कैसे उन महत्वपूर्ण तरीकों से समन्वय किया जाता है और जो पारदर्शी हैं, इसलिए जैसे ही व्यवसाय इन समस्याओं के माध्यम से काम करने की कोशिश कर रहे हैं, आप संगठनों के अंदर सही स्तर पर नेताओं तक पहुंच सकते हैं, और उन नेताओं तक पहुंच सकते हैं चाहे वह वाणिज्य में हमारे समकक्ष हों या ट्रेजरी या, चाहे रक्षा विभाग में सुरक्षा का मुद्दा हो।
हम इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं। मैं आपको बताऊंगा कि उन संगठनों में से प्रत्येक में वरिष्ठ नेताओं ने बहुत स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है जो कहते हैं, देखो, हमारे अलग-अलग हित हो सकते हैं – अर्थात, हम प्रत्येक संयुक्त राज्य सरकार के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं – लेकिन यह विचार करें कि हम प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं, कि हम अमेरिकी सरकार की ओर से उद्धार नहीं कर सकते हैं, जो हमारी नौकरशाही के माध्यम से अपने तरीके को समझने की कोशिश कर रहे हैं जो कम से कम पारदर्शी हो और आप इस पर काम कर सकें। और अगर हमें समस्या है, तो हम उन्हें बताते हैं। मुझे इसी की आशा है कि ऐसा स्टेट डिपार्टमेंट में नहीं होगा, और यदि ऐसा होता है, तो मुझे आशा है कि कोई मुझे यह बताएगा।
सुश्री जैंटल: तो, मुझे आपको बताने में खुशी होगी। और दुर्भाग्यवश अब हमारे पास समय समाप्त हो रहा है। मुझे यकीन है कि हम इस बातचीत को अगले 20 मिनट तक जारी रख सकते थे। पर सच में मैं आपकी पहल का समर्थन करने के लिए तत्पर हूँ। मैं आपको आपकी यात्रा और अच्छी चाय के लिए आपको शुभकामनाएं देना चाहती हूँ। और आज यहां पर आने लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, हम सभी अमेरिका और भारत के साथ व्यापार और सरकार में साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।
सेक्रेटरी पोम्पेयो: ठीक है, बहुत अच्छा। आपका धन्यवाद। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
सुश्री जैंटल: आपका धन्यवाद।